सूची / अध्याय 3: स्थूल ब्रह्मांड
I. घटना और प्रश्न
विस्तृत आकाश–खंडों में अनेक क्वासरों के रैखिक ध्रुवण–कोण यादृच्छिक नहीं दिखते, बल्कि “धब्बों” की तरह एक–से दिशाओं में सिमटते हैं। केवल स्थानीय कारण—एक स्रोत की चुम्बकीय ज्यामिति, जेट का मुड़ना, अग्रभूमि धूल—गीगापारसेक पैमानों पर स्थिर सह–अभिमुखता समझाने में कमजोर पड़ते हैं। इसे संयोग मानना भी उन सांख्यिकी से टकराता है जो क्षेत्रों–वार कोण–पसंद दिखाती हैं। अतः बहु–पैमानी आयोजक चाहिए, जो स्वतंत्र स्रोतों की उत्सर्जन–ज्यामिति के सन्दर्भ–ढाँचे को एक–सा करे।
II. प्रस्तावित तंत्र: तनाव–संरचना की समन्वित क्रिया
क्वासर शून्य पृष्ठभूमि में नहीं, बल्कि तनावीय कगारों और गलियारों से बुनी ब्रह्माण्ड–जाल में जड़े रहते हैं। जो स्रोत एक ही कगार/गलियारे को साझा करते हैं, वे समान ज्यामितीय बन्धनों के अधीन होते हैं: पहले प्रत्येक स्रोत के लिए कम–प्रतिबाधा वाला ध्रुवीय चैनल बनता है (जेट/विक्षेप धुरी को स्थापित करता है), फिर इन्हीं धुरियों को बड़े पैमाने पर मिलते–जुलते अभिमुखों पर “लॉक” कर दिया जाता है। ध्रुवण उस अभिमुख का दृश्य सूचक मात्र है।
- कगार और गलियारे—पसंदीदा धुरी तय करते हैं
तनाव–क्षेत्र, फिलामेंटों और “दीवारों” पर लम्बी ढलानों व कगारों को गढ़ता है; द्रव्य और विक्षोभ को पर्तदार प्रवाहों में संगठित करता है।
नोडों और कगारों के पास, स्थिर व कम–हानि ध्रुवीय चैनल बनते हैं; ऊर्जा और कोणीय संवेग इन्हीं से प्राथमिकता से निकलते हैं, जिससे जेट–धुरी, डिस्क–नॉर्मल और विक्षेप–आधार तय होते हैं। - ध्रुवण क्यों सह–अभिमुख होता है
रैखिक ध्रुवण मुख्यतः विक्षेप–ज्यामिति और चुम्बकीय अभिस्थान को दर्शाता है; जब धुरी स्पष्ट होती है, तो ध्रुवण–कोण दृष्टि–रेखा और विक्षेप–क्षेत्र पर निर्भर करते हुए उसी धुरी के समानान्तर/लम्बवत बैठता है।
क्योंकि धुरी वही कगार/गलियारा निर्धारित करता है, उसके आस–पास स्थित अनेक स्रोत स्वाभाविक रूप से समान ध्रुवण–आधार दिखाते हैं। - ‘दूर से सह–संगति’ बिना दूरस्थ संचार के
प्रभाव साझा बन्धनों से आता है: एक ही तनाव–जाल के भिन्न नोड एक–सी ज्यामिति में काम करते हैं, इसलिए दूर होते हुए भी संगत दिखते हैं। यहाँ सांख्यिकीय तनावीय गुरुत्व (STG)—अनेक सामान्यीकृत अस्थिर कण (GUP) के स्थान–काल औसत से उत्पन्न अंतर्भिमुख पक्षपात—लम्बी ढलानों को “कस” देता है और गलियारों को अधिक निरन्तर बनाता है, जिससे संरेखन–पैमाना बढ़ता है। तनावीय पृष्ठभूमि–शोर (TBN)—कण–विघटन से उपजी अनियमित तरंग–पुंजों का अतिस्थापन—किनारों पर महीन बनावट और हल्की थरथराहट जोड़ता है, पर वैश्विक अभिमुख को विरले ही पलटता है। - समय–स्थायित्व
बड़े–पैमाने के गलियारों और कगारों का ज्यामितीय जीवनकाल लम्बा होता है; परिवर्तन हों भी तो वे प्रायः खण्ड–खण्ड पुनररेखांकन के रूप में आते हैं, न कि बिन्दु–दर–बिन्दु पलटाव की तरह। इसलिए एक रेडशिफ्ट–खिड़की तक संरेखन टिक सकता है; पुनररेखांकन पर भी परिवर्तन क्षेत्रीय री–ओरिएंटेशन के रूप में दिखता है, न कि स्थानीय अव्यवस्था के रूप में।
III. उपमा
प्रमुख पवन–पट्टी के नीचे खेत की लहरें जैसी दशा है: हर बालि स्थानीय हवा और भू–आकृति का जवाब देती है, पर साझा “पवन–पट्टी” दूर–दूर तक एक–सी बनावट बिछा देती है। तनावीय गलियारे/कगार वही पवन–पट्टी हैं; ध्रुवण–कोण उस “कंघी” की दिशा उकेरते हैं।
IV. प्रचलित व्याख्याओं से तुलना
- सहमति का बिन्दु: ध्रुवण–अभिमुख को स्रोत–पार और पैमाना–पार एक करने वाला तंत्र आवश्यक है।
- मुख्य अन्तर: प्रचलित व्याख्याएँ प्रायः एकल कारण—कॉस्मिक बाइरिफ्रिंजेंस, अत्यन्त व्यापक चुम्बकीय क्षेत्र, नमूना पक्षपात—की ओर जाती हैं। यहाँ आयोजक तनाव–जाल की ज्यामिति है: वही स्थल–रूप ध्रुवीय चैनल गढ़ता है, जेट/विक्षेप को संगठित करता है और ध्रुवण–आधार पर अंकुश लगाता है—और यह सब ब्रह्माण्ड–जाल के “रेशीय” अभिमुखों तथा जेट–दिशा की सांख्यिकी के साथ सुसंगत रहता है।
- सीमाएँ और संगतता: अग्रभूमि धूल और स्थानीय क्षेत्र आयाम/कोण को थोड़ा बदल सकते हैं, पर गीगापारसेक पैमानों पर स्थिर, सुसंगत संरेखण बनाना कठिन है; ये अधिकतर सूक्ष्म अलंकरण हैं, मूल कारण नहीं।
V. निष्कर्ष
- बड़े–पैमाने के गलियारे और कगार स्रोतों के लिए पसंदीदा धुरी बनाते हैं।
- अनेक स्रोत समान बन्धनों को साझा करने के कारण निकट–समान ध्रुवण दिखाते हैं।
- सांख्यिकीय तनावीय गुरुत्व (STG) “भू–आकृति” को मोटा करता है, जबकि तनावीय पृष्ठभूमि–शोर (TBN) केवल किनारों को टेक्सचर देता है—नतीजतन संरेखन धब्बों–सा, पर टिकाऊ होता है।
जब ध्रुवण–संरेखण, जेट–दिशाएँ और ब्रह्माण्ड–जाल की रेशीय ज्यामिति को उसी तनाव–मानचित्र पर साथ रखा जाता है, तो दूर–दूर तक दिखती यह संगति रहस्य नहीं रहती; वह माध्यम, ज्यामिति और विकिरण की सह–मानचित्रित स्वाभाविक परिणति बन जाती है।
कॉपीराइट व लाइसेंस (CC BY 4.0)
कॉपीराइट: जब तक अलग से न बताया जाए, “Energy Filament Theory” (पाठ, तालिकाएँ, चित्र, प्रतीक व सूत्र) का कॉपीराइट लेखक “Guanglin Tu” के पास है।
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अनुशंसित श्रेय प्रारूप: लेखक: “Guanglin Tu”; कृति: “Energy Filament Theory”; स्रोत: energyfilament.org; लाइसेंस: CC BY 4.0.
पहला प्रकाशन: 2025-11-11|वर्तमान संस्करण:v5.1
लाइसेंस लिंक:https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/