सूची / अध्याय 3: स्थूल ब्रह्मांड
पाठ–संकेत: यह भाग सामान्य पाठकों के लिए है, इसमें सूत्र नहीं हैं। यहाँ हम बताते हैं कि तनाव गलियारा तरंग-मार्गदर्शक (TCW) का उपयोग करके सीधे, संकरे और तेज़ जेट कैसे समझाए जा सकते हैं। सिद्धांत और निर्माण–मेकैनिज़्म के लिए अनुभाग 1.9 देखें।
I. TCW क्या करता है: “इग्निशन” को सीधा–संकरा–तेज़ पलायन में बदलता है
- दिशा तय करता है: ऊर्जा और प्लाज़्मा को एक पसंदीदा धुरी पर “लॉक” करता है ताकि स्रोत–निकट मोड़ कम हों।
- संकरापन तय करता है: छोटा खुलाव वाला पतला गलियारा बनता है, जिससे प्रवाह सीधा और कोलिमेटेड रहता है।
- कोहेरेंस बनाए रखता है: सुव्यवस्थित संरचना समय और ध्रुवण में पल्स–टेक्सचर को स्थिर रखती है, जिसे अन्यथा अशांति जल्दी धुंधला कर देती।
- दौड़–क्षमता बढ़ाता है: बाहरी दाब और “दीवार–समर्थ” मिलने पर कोलिमेशन लंबी दूरी तक बना रहता है और ऊर्जा अधिक पारदर्शी, अधिक विकिरण–कुशल क्षेत्रों तक पहुँचती है।
संक्षेप में, TCW एक कॉलिमेटर की तरह काम करता है जो स्रोत की इग्निशन को भरोसेमंद ढंग से सीधे, संकरे और तेज़ जेट में बदल देता है।
II. उपयोग का समग्र नक्शा: एक ही रेखा “TCW → जेट”
- इग्निशन: स्रोत–निकट पतली कतरन–पुनर्संयोजन परतें ऊर्जा को पल्सों में छोड़ती हैं।
- एस्कॉर्ट: TCW ऊर्जा को स्रोत–निकट क्षेत्र से मध्यम दूरी तक “सुरक्षित ले जाता है”, ताकि पुनः–अवशोषण और मुड़ाव कम हों।
- गियर–शिफ्ट: फट/बर्स्ट के दौरान ज्यामिति और अनुशासन चरणबद्ध रूप से बदल सकते हैं (ध्रुवण–कोण में असतत छलाँगें दिखाई देती हैं)।
- फ्री–रन: प्रबल कोलिमेशन क्षेत्र से बाहर जेट व्यापक प्रसार और आफ्टरग्लो में जाता है (अक्सर पुनः–कोलिमेशन नोड और ज्यामितीय टूट के साथ)।
III. सिस्टम–मैप: TCW कहाँ सक्रिय होता है और कौन–कौन से संकेत देखें
- गामा–रे बर्स्ट (GRB)
- क्यों सीधे/कोलिमेटेड: ध्वंस या विलयन स्पिन–अक्ष के साथ स्थिर गलियारा खोलता है, जिससे सबसे चमकीला prompt भाग अधिक पारदर्शी त्रिज्या तक “सीधे” पहुँचता है और स्रोत–निकट रद्दीकरण/मोड़ घटते हैं।
- स्रोत–निकट पैमाना: ~0.5–50 au; सब–सेकंड पिक्स भी संकरे और सीधे बने रहते हैं।
- क्या देखें: पल्स के उभार–किनारे पर ध्रुवण पहले बढ़े, पड़ोसी पल्सों के बीच ध्रुवण–कोण में असतत छलाँगें; आफ्टरग्लो में कम–से–कम दो अक्रोमैटिक ब्रेक (गलियारे की परतें या गियर–शिफ्ट)।
- सक्रिय आकाशगंगा नाभिक (AGN) और माइक्रोक्वासर
- क्यों सीधे/कोलिमेटेड: क्षितिज–निकट से उप–पार्सेक तक लंबा, स्थिर गलियारा पराबोलिक कोलिमेशन–क्षेत्र बनाता है जो आगे चलकर शंक्वाकार विस्तार में बदलता है।
- स्रोत–निकट पैमाना: ~10^3–10^6 au (केन्द्रीय द्रव्यमान के साथ बढ़ता है)।
- क्या देखें: रीढ़–आवरण संरचना और किनारी चमक; दूरी के साथ खुलाव पराबोला → शंकु में बदले; वर्ष–पैमाने पर ध्रुवण–मानचित्र पुनर्संगठित हों या पलटें (गलियारे के गियर–शिफ्ट का संकेत)।
- टाइडल डिसरप्शन इवेंट (TDE) जेट
- क्यों सीधे/कोलिमेटेड: तारा फटने के बाद स्पिन–अक्ष के पास अल्पजीवी पर कुशल गलियारा तेज़ी से बनता है और आरंभिक बाह्य–प्रवाह को कड़े रूप में कोलिमेट करता है।
- स्रोत–निकट पैमाना: ~1–300 au; अभिवृद्धि और बाह्य दाब घटने पर गलियारा ढीला पड़े या बंद हो जाए।
- क्या देखें: शुरू में ध्रुवण ऊँचा और स्थिर, फिर जल्दी गिरा/पलटा; off–axis दृष्टि पर प्रकाश व स्पेक्ट्रम समय के साथ स्पष्ट रूप से पुनः–उन्मुख हों।
- फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB)
- क्यों सीधे/कोलिमेटेड: मैग्नेटार–निकट अत्यल्प–लंबाई का गलियारा खंड कोहेरेंट रेडियो को अत्यंत संकरे बीम में दबाता है और मिलीसेकंड में “सीधा” बाहर निकाल देता है।
- स्रोत–निकट पैमाना: ~0.001–0.1 au।
- क्या देखें: लगभग शुद्ध रेखीय ध्रुवण; रोटेशन मेज़र (RM) में समय–क्रमिक सीढ़ियाँ; रिपीटर स्रोतों में बर्स्ट–दर–बर्स्ट ध्रुवण–कोण “गियर–वार” बदले।
- धीमे जेट और अन्य प्रणालियाँ (प्रोटो–तारकीय जेट, पल्सर–विंड नीहारिका)
- क्यों सीधे/कोलिमेटेड: सापेक्षिक गति न होने पर भी गलियारा–ज्यामिति कोलिमेट करती है; स्रोत–निकट सीधा खंड दिशा निश्चित करता है, आगे का रूप परिवेश और डिस्क–विंड तय करते हैं।
- स्रोत–निकट पैमाना: प्रोटो–तारकीय जेट में 10–100 au के सीधे खंड; पल्सर–विंड नीहारिका में ध्रुवीय छोटे गलियारे और विषुवतीय वलय–रचना।
- क्या देखें: स्तंभ–कोलिमेशन और नोड पर सिकुड़ना–उछाल (रिकोलिमेशन); मेज़बान माध्यम के तंतु–ढाँचे से सुसंगत पसंदीदा दिशाएँ।
IV. TCW–आधारित अनुप्रयोग की उँगली–छापें (J1–J6 जाँच)
ये सूचक गलियारा–निर्देशित सीधे जेट की पहचान करते हैं और अनुभाग 3.10 की P1–P6 सूची को पूरक हैं।
- J1 | ध्रुवण फ्लक्स से पहले उठे: एक ही पल्स में उभार–किनारे पर ध्रुवण बढ़ता है और चमक बाद में शिखर पर पहुँचती है (पहले कोहेरेंस, फिर ऊर्जा)।
- J2 | ध्रुवण–कोण “गियर–बिन” में बदले: पड़ोसी पल्सों के बीच कोण असतत सीढ़ियों में बदलता है; यह गलियारा–यूनिट के अदला–बदली या गियर–शिफ्ट को दर्शाता है।
- J3 | RM में सीढ़ियाँ: आरंभ/प्रॉम्प्ट खंड में RM समय के साथ सीढ़ीनुमा बदले और पल्स–किनारों या कोण–छलाँगों से मेल खाए।
- J4 | बहु–स्तरीय ज्यामितीय टूट: आफ्टरग्लो में दो या अधिक अक्रोमैटिक ब्रेक दिखें, जिनके समय–अनुपात नमूनों में क्लस्टर करें (गलियारे की परत–ज्यामिति)।
- J5 | रीढ़–आवरण और किनारी चमक: चित्रों में तेज़ रीढ़ व धीमा आवरण दिखे; जेट–किनारे अधिक चमकदार हों।
- J6 | “अतिरिक्त पारदर्शिता” की संगति: जहाँ उच्च–ऊर्जा फोटॉन अधिक आसानी से पार हों, वे दिशाएँ मेज़बान के फिलामेंट–दीर्घ–अक्ष या प्रमुख कतरन–अक्ष के साथ सांख्यिकीय रूप से संरेखित हों।
निर्णय–नियम: यदि कोई घटना/स्रोत–वर्ग J1–J4 में से कम–से–कम दो को पूरा करे और आकृति-विज्ञान J5/J6 का समर्थन करे, तो गलियारा–निर्देशित सीधा जेट व्याख्या गैर–चैनल मॉडल की तुलना में स्पष्ट रूप से श्रेष्ठ है।
V. परतदार मॉडल (समकालीन सिद्धांतों के साथ कार्य–विभाजन)
- आधार परत: TCW से प्राप्त ज्यामितीय prior
कोलिमेटर–व्यवहार, परत–आधारित गियर–शिफ्ट, असतत ध्रुवण–कोण, सीढ़ीनुमा RM और बहु–स्तरीय ज्यामितीय टूट की व्याख्या करते हैं; लंबाई, खुलाव, परत–संख्या और परिवर्तन–क्षण के prior देते हैं। - मध्यम परत: जेट–डायनेमिक्स और MHD (परंपरागत)
ज्यामिति prior के आधार पर वेग–क्षेत्र, ऊर्जा–परिवहन और पार्श्व–दाब युग्मन का अनुमान लगाते हैं; पराबोलिक → शंक्वाकार संक्रमण और स्थायित्व समझाते हैं। - शीर्ष परत: विकिरण और प्रसार
मानक विकिरण–भौतिकी से स्पेक्ट्रम, प्रकाश–वक्र, ध्रुवण और RM संयोजित करते हैं; ब्रह्मांडीय महा–संरचना के साथ–साथ पुनः–प्रसंस्करण का मॉडल बनाते हैं। - कार्य–प्रवाह सुझाव
पहले J1–J6 के आधार पर TCW–निर्देशित सीधा जेट का त्वरित स्क्रीनिंग करें; फिर अनुकूल मामलों को डायनेमिक्स व रेडिएशन मॉड्यूल में विस्तृत फिट और व्याख्या हेतु भेजें।
VI. संक्षेप में
- मेकैनिज़्म का असर: TCW इग्निशन को सीधे, संकरे और तेज़ प्रवाहों तक पहुँचाता है; J1–J6 से इसे सीधे जाँचा जा सकता है।
- स्रोत–पार एकरूपता: GRB, AGN, TDE–जेट, FRB और धीमे जेट—सभी में एक ही गलियारा–ज्यामिति बताती है कि जेट सीधे क्यों दिखते हैं।
- सह–मॉडलिंग: TCW के ज्यामितीय prior से बाधाएँ तय करें और उन पर पारंपरिक डायनेमिक्स व विकिरण परतें रखें, ताकि रूप–रचना, फेज, स्पेक्ट्रा और ध्रुवण एक ऐसी व्याख्या–श्रृंखला में जुड़ें जो परिक्षणीय और पुनः–उपयोग योग्य हो।
कॉपीराइट व लाइसेंस (CC BY 4.0)
कॉपीराइट: जब तक अलग से न बताया जाए, “Energy Filament Theory” (पाठ, तालिकाएँ, चित्र, प्रतीक व सूत्र) का कॉपीराइट लेखक “Guanglin Tu” के पास है।
लाइसेंस: यह कृति Creative Commons Attribution 4.0 International (CC BY 4.0) लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध है। उपयुक्त श्रेय देने की शर्त पर, व्यावसायिक या गैर‑व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए प्रतिलिपि, पुनर्वितरण, अंश उद्धरण, रूपांतर तथा पुनःवितरण की अनुमति है।
अनुशंसित श्रेय प्रारूप: लेखक: “Guanglin Tu”; कृति: “Energy Filament Theory”; स्रोत: energyfilament.org; लाइसेंस: CC BY 4.0.
पहला प्रकाशन: 2025-11-11|वर्तमान संस्करण:v5.1
लाइसेंस लिंक:https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/