सूची / अध्याय 3: स्थूल ब्रह्मांड
जब दो या अधिक आकाशगंगा–गुच्छ एक–दूसरे के आरपार गुजरकर फिर से विन्यस्त होते हैं, तब विलय घटित होता है। इस अध्याय में प्रमुख प्रेक्षणीय संकेतों और व्याख्या–सम्बन्धी कठिनाइयों का सार दिया गया है, और दो दृष्टियों की तुलना की गई है—लैम्ब्डा शीत–अदृश्य पदार्थ मॉडल तथा सामान्य सापेक्षता पर आधारित समकालीन भौतिकी, और ऊर्जा तंतु सिद्धांत (Energy Threads)। दूसरे दृष्टिकोण में सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व (Statistical Tensor Gravity, STG) और टेन्सर पृष्ठभूमि शोर (Tensorial Background Noise, TBN) केंद्र में आते हैं; साथ ही स्रोत–पद लाल–सरकाव (Source-Term Redshift, TPR) और मार्ग–पर्यावरण (Pathway Environment, PER) को प्रेक्षणीय निरूपण के रूप में जोड़ा जाता है।
सरल उपमा में, समकालीन भौतिकी मंच पर एक अदृश्य अभिनेता—अदृश्य पदार्थ—लाती है। ऊर्जा तंतु सिद्धांत (Energy Threads) मंच की “फर्श” को—टेन्सर भू–दृश्य को—घटनाओं के साथ बदलते हुए प्रकाश और पदार्थ की यात्रा पर सांख्यिकीय प्रभाव डालते हुए दिखाता है। प्रथम उल्लेख पर हम अंग्रेज़ी एंकर भी देते हैं: ऊर्जा सागर (Energy Sea), तनाव (Tension), तनाव प्रवणता (Tension Gradient), पथ (Path), लाल–सरकाव (Redshift)।
I. दो समग्र दृष्टियाँ (प्रारम्भिक मान्यताओं को स्पष्ट करना)
- समकालीन भौतिकी (ΛCDM और सामान्य सापेक्षता)
- लगभग निर–संघर्ष और अदृश्य पदार्थ–घटक—अदृश्य पदार्थ—का अनुमान रखा जाता है।
- विलय के दौरान अदृश्य पदार्थ–हेलो और आकाशगंगाएँ पार चली जाती हैं; गर्म गैस टकराती है, धीमी होती है और गर्म होती है, इसलिए लेंसिंग से निकले द्रव्यमान–शीर्ष और एक्स–रे गैस–शीर्ष अलग दिखते हैं।
- गुरुत्व सामान्य सापेक्षता का अनुसरण करता है; अदृश्य पदार्थ और (मैग्नेटो) द्रव–गतिकी से बने फॉरवर्ड सिमुलेशन बहु–तरंगदैर्ध्य संकेतों (एक्स–रे/ऊष्मीय सन्यायेव–ज़ेल्दोविच, रेडियो, लेंसिंग) को पुनर्सृजित करते हैं।
- ऊर्जा तंतु सिद्धांत
- आरम्भिक तथा उत्तरकालीन ब्रह्माण्ड को ऊर्जा सागर में स्थित माना जाता है, जहाँ तनाव और तनाव प्रवणता की स्थल–आकृति बड़े–पैमाने पर अतिरिक्त गुरुत्व–प्रभाव उत्पन्न करती है, जिनका विवरण सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व देता है।
- विलय के समय दिखाई देने वाले पदार्थ में उत्पन्न आघात–तरंगें, शीयर और अशांति सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व की प्रतिक्रिया को शर्तित करती हैं और टेन्सर पृष्ठभूमि शोर सूक्ष्म–बनावट अंकित करता है।
- पृथ्वी पर निकाले गए लाल–सरकाव और दूरी में स्रोत तथा पथ से आने वाले पद शामिल हो सकते हैं—इन्हें क्रमशः स्रोत–पद लाल–सरकाव और मार्ग–पर्यावरण के रूप में रूपायित किया जाता है; अतः हर चीज़ को केवल ब्रह्माण्डीय प्रसार–ज्यामिति से समझना आवश्यक नहीं है।
II. प्रेक्षणीय ‘फिंगरप्रिंट’ और तनाव–परीक्षण (आठ बिन्दु, एक–एक कर)
प्रत्येक बिन्दु का ढाँचा है—“घटना/समस्या → समकालीन पढ़त → ऊर्जा तंतु सिद्धांत की पढ़त”—और जहाँ सम्भव हो, एक परीक्षित संकेत दिया गया है।
- लेंसिंग द्रव्यमान बनाम एक्स–रे गैस का असंगति (κ–X ऑफ़सेट)
- घटना/समस्या: “बुलेट” जैसे प्रणालियों में लेंसिंग (कमज़ोर/प्रबल) से निकले कुल द्रव्यमान–शीर्ष अक्सर एक्स–रे चमक/ताप–शीर्ष से नहीं मिलते; आकाशगंगाओं की प्रकाश–चोटी द्रव्यमान के अधिक निकट रहती है। गुरुत्व–प्रधान संरचनाएँ और टकराती गर्म गैस अलग–अलग क्यों दिखते हैं।
- समकालीन पढ़त: अदृश्य पदार्थ और आकाशगंगाएँ लगभग निर–संघर्ष हैं और आरपार गुज़र जाती हैं; गैस टकराकर गर्म होती है और पीछे रह जाती है—बड़े निर–संघर्ष द्रव्यमान–घटक के साथ यह अलगाव स्वाभाविक है।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: विलय की तीव्रता के साथ सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व का प्रभावी कोर विलय–अक्ष पर स्मृति/विलंब के साथ सुदृढ़ होता है; जहाँ गैस अलग होती है वहाँ “सांख्यिकीय विभव” गहराता है, परिणामस्वरूप व्यवस्थित κ–X ऑफ़सेट बनता है।
- परीक्षित संकेत: ऑफ़सेट को तीव्रता–सूचकों (आघात–बल, रेडियो स्पेक्ट्रल–इंडेक्स का प्रवण, एक्स–रे का बहु–ताप प्रसरण) के साथ एकरूप बदलना चाहिए और कोर–पारगमन के बाद एक विशिष्ट समय–मान पर ढीला पड़ना चाहिए।
- धनुषाकार आघात–तरंगें और शीत अग्र–भाग (गर्म गैस की उग्र रचना)
- घटना/समस्या: एक्स–रे मानचित्रों में ताप/घनत्व के तीव्र उछाल दिखाने वाली धनुषाकार तरंगें और ‘चाकू–कगार’ जैसे शीत अग्र–भाग आम हैं—स्थान, तीव्रता और ज्यामिति को साथ–साथ कैसे समझाएँ।
- समकालीन पढ़त: आपेक्षिक गति गैस की आंतरिक ऊर्जा में गतिज ऊर्जा का रूपान्तरण करती है और आघात–तरंगें बनाती है; शीयर और चुंबकीय ‘ड्रेपिंग’ शीत अग्र–भाग गढ़ते हैं। विवरण सान्द्रता, ऊष्मा–चाल और चुंबकीय दमन पर निर्भर है।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: आघात और शीयर केवल गर्म नहीं करते—वे स्रोत–पद की तरह कार्य करते हैं जो सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व को स्थानीय रूप से बढ़ाते हैं; टेन्सर पृष्ठभूमि शोर असंतुलित क्षेत्रों की “खुरदुराहट” दर्ज करता है। फलतः आघात–सामान्य प्रायः लेंसिंग–दीर्घवृत्तता की मुख्य धुरियों के साथ संरेखित होते हैं और शीत अग्र–भागों के पास कील–नुमा विभव–गहराव दिखते हैं।
- परीक्षित संकेत: आघात–सामान्य बनाम लेंसिंग–आइसोकॉन्टर के संरेखण–सांख्यिकी; अग्र–भाग–सामान्य पर ऊष्मीय/अनऊष्मीय ऊर्जा–हिसाब का सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व–वृद्धि के साथ मेल।
- रेडियो रелик और केन्द्रीय हैलो (अनऊष्मीय कणों और क्षेत्र का प्रतिध्वनि)
- घटना/समस्या: अनेक विलयों में किनारे पर अत्यधिक ध्रुवित धनुषाकार रелик और केंद्र में प्रसारी हैलो दिखते हैं—रелик अक्सर आघात–सीमाओं से क्यों मिलते हैं और त्वरित–दक्षता कहाँ से आती है।
- समकालीन पढ़त: आघात और अशांति इलेक्ट्रॉनों को (प्रथम/द्वितीय क्रम) त्वरित करते हैं; चुंबकीय क्षेत्र खिंचते और बलवान होते हैं—रелик आघात–सीमा का मानचित्र बनाते हैं, केन्द्रीय हैलो अशांति से जुड़ते हैं।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: टेन्सर पृष्ठभूमि शोर सूक्ष्म झटके और गैर–गॉसियन पूँछें बनाता है, जिससे पुनः–त्वरण–दहलीज़ घटती है; सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व तीव्र क्षेत्रों को अधिक भार देता है, इसलिए रелик लेंसिंग की मुख्य धुरी के अनुदिश फैलते हैं।
- परीक्षित संकेत: रелик की स्थिति–ध्रुवण–कोण का मुख्य लेंस–धुरी के सापेक्ष संयुक्त वितरण; स्पेक्ट्रल–इंडेक्स प्रवण का तीव्रता–सूचकों और सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व–वृद्धि से पूर्वानुमान।
- रूप–विज्ञान: द्वि–शीर्ष, दीर्घण, ट्विस्ट–कोण और बहुध्रुव
- घटना/समस्या: अभिसरण/शीयर क्षेत्र प्रायः विलय–अक्ष के साथ द्वि–शीर्ष या दीर्घित दिखते हैं; मापनीय उत्केन्द्रता, ट्विस्ट–कोण और उच्च–क्रम बहुध्रुव मिलते हैं—ये बारीकियाँ मॉडल–कोर के आकार के प्रति संवेदनशील होती हैं।
- समकालीन पढ़त: ज्यामिति मुख्यतः दो अदृश्य–पदार्थ–हेलो के सुपरपोज़िशन से बनती है; सशक्त बाधाएँ सापेक्ष स्थिति, द्रव्यमान–अनुपात और दृष्टि–रेखा–झुकाव से आती हैं।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व के अनैसॉट्रॉपिक कोर विलय–अक्ष के अनुदिश “कठोर” रहते हैं; एक ही कोर–परिवार उत्केन्द्रता, ट्विस्ट और m = 2/m = 4 शक्ति–अनुपात को एक साथ समझा सकता है।
- परीक्षित संकेत: समान कोर–पैरामीटर को अलग–अलग प्रणालियों पर पुनः लगाना; यदि “उत्केन्द्रता–ट्विस्ट–बहुध्रुव अनुपात” स्थिर रहे तो दिशात्मकता पुष्ट होती है।
- सदस्य–आकाशगंगाओं की द्वि–शीर्ष गति और गतिज SZ प्रभाव (फेज़–पहचान की कुंजी)
- घटना/समस्या: सदस्य–आकाशगंगाओं के लाल–सरकाव का वितरण अक्सर दो–शीर्ष बनाता है—यह चल रही “रस्साकशी” बताता है; गतिज SZ मिलने पर दृष्टि–रेखा के अनुदिश समष्टि–प्रवाह दिखता है। चुनौती यह है कि अवस्था—पूर्व–पारगमन, पश्च–पारगमन, स्वीप–बाय या पुनःपतन—कैसे पहचानी जाए।
- समकालीन पढ़त: गति–वितरण को लेंसिंग/एक्स–रे रूप–विज्ञान और आघात–स्थिति के साथ जोड़कर संख्यात्मक टेम्पलेट से मिलाया जाता है।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: समान ज्यामिति पर स्मृति/विलंब अतिरिक्त पैमाना देता है—कोर–पारगमन के तुरंत बाद लेंस–एक्स–रे ऑफ़सेट बड़ा होना चाहिए और फिर विशिष्ट समय–मान पर घटते हुए आधार–रेखा पर लौटना चाहिए।
- परीक्षित संकेत: नमूना–समूह में “गति–शीर्ष दूरी + आघात–स्थिति” के विरुद्ध κ–X ऑफ़सेट रखने पर, क्या साझा समय–नियतांक वाली सघन रिलैक्सेशन–पगडंडी बनती है।
- ऊर्जा–क्लोज़र: गतिज से ऊष्मीय और अनऊष्मीय (क्या लेखा–जोखा मिलता है)
- घटना/समस्या: आदर्शतः विलय में खोई गतिज ऊर्जा ऊष्मीय (एक्स–रे और ऊष्मीय SZ) तथा अनऊष्मीय (रेडियो) चैनलों में मिलनी चाहिए; कुछ प्रणालियों में दक्षताओं और “लापता ऊर्जा” के आकलन मेल नहीं खाते।
- समकालीन पढ़त: भिन्नताएँ सूक्ष्म–भौतिकी (सान्द्रता, चालन, चुंबकीय दमन, इलेक्ट्रॉन–आयन असंतुलन) और प्रक्षेपण–प्रभावों को सौंपी जाती हैं।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: इन पदों को पूर्व–मान्य रखा जाता है और सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व–कोर पर स्पष्ट संरक्षण–नियंत्रण लगाए जाते हैं (उदा॰ आघात–सामान्य प्रोफ़ाइल ऊर्जा–उछाल नियत करते हैं)। यदि केवल अन्तर “निगलने” के लिए अतिरिक्त स्वतंत्रता चाहिए तो मॉडल सफल नहीं माना जाएगा।
- परीक्षित संकेत: एक ही प्रणाली में समेकित ऊर्जा–लेखांकन—ऊष्मीय शक्ति (एक्स–रे + ऊष्मीय SZ) बनाम अनऊष्मीय रेडियो–शक्ति—यदि कोर–पैरामीटर बदलने पर क्लोज़र टूटे, तो पुनः–फिट आवश्यक है।
- प्रक्षेपण और ज्यामितीय अवमिश्रता–उन्मूलन (“दो–शीर्ष जैसा दिखने” का फन्दा)
- घटना/समस्या: दृष्टि–कोण और प्रभाव–पैरामीटर दृश्य–रूप–विज्ञान को तीव्रता से बदलते हैं; एक शीर्ष दो जैसा दिख सकता है और ऑफ़सेट घट–बढ़ सकता है। बहु–मोड डेटा सहायक है, पर हर बार सुलभ नहीं।
- समकालीन पढ़त: लेंसिंग–शीयर क्षेत्र, एक्स–रे/ऊष्मीय SZ प्रोफ़ाइल और सदस्य–गतिकी को जोड़कर, बड़े नमूनों से अवमिश्रताएँ तोड़ी जाती हैं।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: प्रत्यक्ष प्रेक्षण–स्तर पर समानान्तर फॉरवर्ड–मॉडलिंग करना उचित है—शीयर को पहले से स्थिर द्रव्यमान–मानचित्र में न पलटें; एक ही लाइकलीहुड में “CDM + सामान्य सापेक्षता” और “ऊर्जा तंतु (सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व + टेन्सर पृष्ठभूमि शोर)” की शृंखलाएँ चलाकर अवशेष–मानचित्र और सूचना–मापदण्ड तुलना करें, कठोर पूर्व–मान्यताओं को वरीयता न दें।
- পरीक्षित संकेत: समान आकाश–आवरण और पैरामीटर–गणना पर क्या दोनों शृंखलाएँ अवशेषों को तुल्य तल तक ला सकती हैं।
- नमूनों के बीच पुनरुत्पादकता और पैमानों के बीच संगति
- घटना/समस्या: “बुलेट क्लस्टर” जैसा लक्ष्य साधना “एल गोर्दो”–प्रकार प्रणालियों या अन्य ज्यामितियों पर स्वतः लागू नहीं होता। निम्न–लाल–सरकाव पर निकाली गई व्याख्याएँ कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि (CMB) और बैरियॉनिक ध्वनिक दोलन (BAO) जैसे आरम्भिक ब्रह्माण्ड–मानकों से भी मेल खानी चाहिए।
- समकालीन पढ़त: यह एक बड़ी ताकत है—एक ही “अदृश्य पदार्थ + गुरुत्व” ढाँचा CMB → BAO → महाव्यापी संरचना → विलय तक (विवरण–बहस सहित) सुसंगत रहता है।
- ऊर्जा तंतु पढ़त: टेन्सर पृष्ठभूमि शोर आरम्भिक “मान–डण्ड” वहन करता है और सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व उत्तरकालीन प्रतिक्रियाएँ, इस शर्त के साथ कि मान–डण्ड कालान्तर में खिसके नहीं; समान कोर–उपरि–पैरामीटरों का अनेक प्रणालियों में पुनः–उपयोग आवश्यक है।
- परीक्षित संकेत: BAO “मान–डण्ड” का फेज़–लॉक, लेंसिंग–आधारित वृद्धि के साथ, समान पैरामीटरों पर दिखना; एक कोर का प्रणालियों के बीच स्थानान्तरण–योग्य होना।
III. दोनों दृष्टियों की सामर्थ्य और सीमाएँ
- समकालीन भौतिकी (ΛCDM और सामान्य सापेक्षता)
सामर्थ्य- बहु–पैमाना सुसंगति व्यापक रूप में मिलती है—CMB के ध्वनिक–शीर्षों और BAO–मान–डण्ड से लेकर कमजोर लेंसिंग और लाल–सरकाव–स्थान में वृद्धि–मापों तक, तथा विलयों की ज्यामिति और ऊर्जिकी तक।
- “इंजीनियरिंग” परिपक्वता ऊँची है—N–बॉडी + (मैग्नेटो) द्रव–गतिकी पारितंत्रों में पैरामीटर और त्रुटि–नियंत्रण मानकीकृत हैं।
- κ–X ऑफ़सेट का सहज बोध—निर–संघर्ष द्रव्यमान पार हो जाता है, टकराती गैस पीछे रह जाती है—नक्शों पर तुरन्त पढ़ा जा सकता है।
सीमाएँ/चुनौतियाँ
- अवस्था–विलंब/स्मृति जैसे समय–हस्ताक्षर मौलिक आउटपुट नहीं हैं; इन्हें पुनरुत्पादित करने में प्रायः ज्यामितीय सूक्ष्म–समायोजन लगता है।
- चरम गतियाँ/रूप–विज्ञान (बहुत ऊँची सापेक्ष–वेग, विशिष्ट बहुध्रुव–संयोजन) कभी–कभी बारीक पूर्व–मान्यताओं या नमूना–क्यूरेशन की माँग करते हैं।
- सूक्ष्म–भौतिक अनिश्चितताएँ (सान्द्रता, ऊष्मा–चाल, चुंबकीय दमन, इलेक्ट्रॉन–आयन असंतुलन) ऊर्जा–क्लोज़र और आघात के माख–संख्या–आकलन को धुँधला कर सकती हैं।
- ऊर्जा तंतु सिद्धांत
सामर्थ्य- घटना–शर्तित प्रतिक्रिया और स्मृति—प्रभावी गुरुत्व–प्रतिक्रिया तीव्रता के साथ बढ़ती–घटती है और फिर शान्त होती है; यह लेंस–एक्स–रे ऑफ़सेट के विकास को सीधे समझाती है।
- दिशात्मकता और गैर–स्थानीयता—एक अनैसॉट्रॉपिक कोर–परिवार एक साथ उत्केन्द्रता, ट्विस्ट और बहुध्रुवों को समझा सकता है; आघात–सामान्यों का मुख्य लेंस–धुरी के साथ संरेखण भी भविष्यवाणी योग्य है।
- अधिक “सिद्धांत–निष्पक्ष” प्रक्रम—γ–मानचित्र, एक्स–रे/SZ प्रोफ़ाइल और रेडियो–स्पेक्ट्रा का प्रत्यक्ष तुलनात्मक विश्लेषण कठोर पूर्व–मान्यताओं से उपजने वाली परिपथ–तर्क–समस्या घटाता है।
सीमाएँ/चुनौतियाँ
- स्थानान्तरण–क्षमता को आँकड़ों से सिद्ध करना होगा—एक ही कोर–पैरामीटर अनेक प्रणालियों में कार्य–क्षम रहें, तभी सार्वत्रिकता का दावा सुदृढ़ होगा।
- ऊर्जा और संक्रमण सम्बन्धी कड़े बन्धनों को स्पष्ट रूप से लागू करना होगा ताकि प्रभावी कोर अतिरिक्त स्वतंत्रता से तंत्रगत त्रुटियों को “निगल” न सके।
- अंतर–पैमाना “सिलाई” अभी निर्माणाधीन है—टेन्सर पृष्ठभूमि शोर को CMB–विवरण पुनः गढ़ने और BAO तक निर्गत–मान–डण्ड को बिना खिसकाव ले जाने में समर्थ होना चाहिए; सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व को कमजोर–लेंसिंग के द्वि–बिन्दु फलनों और वृद्धि के साथ, एक ही पैरामीटर–समूह पर, क्लोज़र देना होगा।
IV. जाँच–योग्य प्रतिज्ञाएँ
- ऑफ़सेट बनाम अवस्था: क्या एक ही वस्तु में लेंस–एक्स–रे ऑफ़सेट, तीव्रता–सूचकों के साथ एकरूप बदलता है और पारगमन के बाद विशिष्ट समय–मान पर शिथिल होता है।
- संरेखण: क्या आघात–सामान्य और रेडियो–रелик की अभिविन्यास मुख्य लेंस–धुरी के साथ महत्त्वपूर्ण रूप में संरेखित मिलती है।
- ऊर्जा–लेखा: क्या ऊष्मीय शक्ति (एक्स–रे + ऊष्मीय SZ) और अनऊष्मीय रेडियो–शक्ति, गतिज ऊर्जा–हानि का संतुलन बनाती हैं।
- पैरामीटर–पुनःउपयोग: क्या निश्चित पैरामीटर–समूह अनेक विलय–प्रणालियों पर अपरिवर्तित रहने पर भी कार्य–क्षम रहता है।
- अंतर–पैमाना क्लोज़र: क्या “ध्वनिक मान–डण्ड” CMB से BAO तक फेज़–संगत रहता है, और क्या कमजोर–लेंसिंग के द्वि–बिन्दु फलन तथा वृद्धि उसी पैरामीटर–समूह पर क्लोज़र दिखाते हैं।
संक्षेप में
- आकाशगंगा–गुच्छ विलय, ब्रह्माण्डीय गुरुत्व और पदार्थ–विषयक प्रश्नों की जाँच के स्वाभाविक प्रयोगशाला हैं।
- समकालीन भौतिकी और ऊर्जा तंतु सिद्धांत अक्सर एक ही आँकड़ों को साध लेते हैं, पर उनकी दार्शनिकता अलग है—एक अदृश्य द्रव्यमान को केंद्र में रखता है, दूसरा घटना–निर्भर गतिशील भू–दृश्य को।
- श्रेष्ठ मार्ग नारे नहीं तय करेंगे, बल्कि एक ही डेटा–समुच्चय पर प्रदर्शन तय करेगा—कम मान्यताएँ और कम स्वतंत्रता, नमूनों/पैमाने–पार पुनरुत्पादकता, और सुसंगत ऊर्जा–क्लोज़र। ऊपर दिए गए आठ संकेत और पाँच जाँच बिन्दु पाठकों और शोधकर्ताओं के लिए साझा जाँच–सूची हैं।
कॉपीराइट व लाइसेंस (CC BY 4.0)
कॉपीराइट: जब तक अलग से न बताया जाए, “Energy Filament Theory” (पाठ, तालिकाएँ, चित्र, प्रतीक व सूत्र) का कॉपीराइट लेखक “Guanglin Tu” के पास है।
लाइसेंस: यह कृति Creative Commons Attribution 4.0 International (CC BY 4.0) लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध है। उपयुक्त श्रेय देने की शर्त पर, व्यावसायिक या गैर‑व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए प्रतिलिपि, पुनर्वितरण, अंश उद्धरण, रूपांतर तथा पुनःवितरण की अनुमति है।
अनुशंसित श्रेय प्रारूप: लेखक: “Guanglin Tu”; कृति: “Energy Filament Theory”; स्रोत: energyfilament.org; लाइसेंस: CC BY 4.0.
पहला प्रकाशन: 2025-11-11|वर्तमान संस्करण:v5.1
लाइसेंस लिंक:https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/