सूची / अध्याय 3: स्थूल ब्रह्मांड
परिभाषाएँ और परिमाण
हम “धागा–समुद्र–तनन” चित्र में शुरुआती अवस्था और उसके “खुलने” का विवरण देते हैं। आद्य चरण में सामान्य अस्थिर कण (GUP) की अल्पायु, क्रमित हलचलें बहुतायत में थीं। उनके जीवनकालों का योग माध्यम को कसता है और स्थान–काल औसत में सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व (STG) की भीतरी खिंचाव–भूमि बनती है। उनके विघटन/विनाश से लौटे कमजोर तरंग–पुंज टेन्सर पृष्ठभूमि शोर (TBN) के रूप में प्रसारी बनावट देते हैं। आगे इन्हीं पूर्ण हिंदी नामों का प्रयोग करते हैं।
I. “शुरुआत” को क्यों नए सिरे से कहना पड़ेगा (तथ्य और दुविधाएँ)
सिंगुलैरिटी तक विस्तार घनत्व और ताप को “अनन्त” की ओर धकेलता है—इकाइयाँ बचती हैं, पर पैमाने बेअसर हो जाते हैं; यह गणितीय विचलन है, भौतिक अवस्था नहीं। इसके अलावा, सबसे पुरानी “प्लेट”—ध्वनिक चरण और लगभग समताप—अद्भुत रूप से संगत है; एक ही गति–सीमा और सामान्य कारण–परिणाम के साथ दूर–दूर तक इतना शीघ्र समन्वय कठिन है। “शुरू से गर्म” ब्रह्माण्ड की ऊर्जा–पुस्तक भी पूरी नहीं बैठती। अंततः यदि समय को पहले से दिया मानें, तो “पहले का पहले” अनंत क्रम बन जाता है, जबकि समय की क्रियाशीलता ही प्रमाणित होनी चाहिए। इसलिए शुरुआत को एक भौतिक फासा और उसके संक्रमण के रूप में चित्रित करना उचित है, न कि “शून्य–बिंदु” या “अनन्त” के रूप में।
II. समय के बिना आरम्भ: क्वाज़ी–वैक्यूम कोर
कण और घड़ियाँ बनने से पहले केवल निरन्तर धागा–जाल था; टिकाऊ बंधित संरचनाएँ नहीं थीं, इसलिए स्थिर दोलक और “सेकंड” भी नहीं थे। तनन सीमा तक खिंचा था: स्थानीय प्रसार–छतें अत्यंत ऊँची थीं; पर ऊँची छतें समय नहीं बनातीं—दोलक नहीं तो अवधि नहीं, ताल नहीं। कनेक्टिविटी ने जाल को वैश्विक लॉक-इन में डाल दिया—प्रवेश संभव, निकास नहीं—और हलचलें “अंदर” ही बंद रहीं, बाहरी सन्दर्भ के बिना। कण और आवर्ती प्रक्रियाओं के अभाव में “पहले/बाद” संचालनीय अर्थ नहीं रखते।
III. दहलीज़ पार करना: लॉक-इन से खुलना (समय कैसे जलता है)
कण न होने पर भी त्वरित–दर से अल्पायु, क्रमित हलचलें जन्म लेती रहीं और दो प्रेरक देती रहीं—
- सांख्यिकीय टेन्सर गुरुत्व: प्रत्येक जीवन–खण्ड में भीतर की ओर चिकना कसाव, जो कोर को और ठोस करता है।
- टेन्सर पृष्ठभूमि शोर: विघटन पर अनियमित तरंगें जो बन्धनों को ठोक–पीट कर सूक्ष्म–ट्रिगर और सूक्ष्म–पुनर्संयोजन कराती हैं।
जब कसाव और सूक्ष्म–ट्रिगर तनाव को दहलीज़ से ऊपर धकेलते हैं, तो पुनर्संयोजन की कड़ी जाल को खोल देती है: विस्तृत पट्टे टूटते–जुड़ते–फिर बंद होते हैं और अपने–आप पारगम्य तनन–गलियारे बनाते हैं; लॉक-इन राह में बदलता है, “अंदर/बाहर” की कार्य–कारणता लौट आती है। संक्रमण क्षेत्र पिस्टन–सा संग्रहीत तनन छोड़ता है: पहले एक साझा सीढ़ी–कदम (समवेत ऊर्जा उछाल), फिर घटती हुई गूँज–लिफ़ाफ़ा (मज़बूत→कमज़ोर, चोटी–अन्तर बढ़ता हुआ) जो स्टोर तनन को प्रसरित ऊर्जा और आस–पड़ोस के प्लाज़्मा में बदलता है। जैसे ही स्थिर स्थानीय संरचनाएँ और दोहराए जा सकने वाले प्रक्रम—हाइरार्की लूप, ध्वनिक आवा–जाही—उपस्थित होते हैं, गिने जाने योग्य ताल बनती है; समय “जल” उठता है।
IV. खुलना और समन्वय: बिना मुद्रास्फीति के कैसे संभव
संक्रमण उस पृष्ठभूमि पर घटता है जहाँ प्रसार–छतें अत्यन्त ऊँची हैं। जाल की ब्लॉक–रीड्रॉ क्षमता—बड़े–बड़े डोमेन का एक साथ रूट बदलना—जुड़ने पर बहुत विशाल क्षेत्र बेहद अल्प भौतिक अवधि में समकालित हो सकते हैं। अतः चरण–समानता और लगभग समताप ज्यामितीय फैलाव के बिना भी उभरते हैं। ऊर्जा–लेज़र भी बंद होती है: कड़ी–कड़ी पुनर्संयोजन तनन–तनाव को तरंगों में बदलती है; वे शीघ्र आस–पास में थर्मलाइज़ होकर “हांडी” को प्रारम्भिक गरमी से भर देती हैं। यहाँ “छत” और “घड़ी” भिन्न हैं: तनन छत देता है (आरम्भ में चरम), घड़ी के लिए दोलक चाहिए (खुलने के बाद)। खुलना दोनों देता है—तेज़ समन्वय और मापने योग्य उत्क्रान्ति में अंकित नमूना।
V. जमना और प्रणयन
“नए सामान्य” में—घनत्व और तनन अभी ऊँचे रहते हैं—फोटॉन–बैरियन द्रव संपीड़न–उछाल के ध्वनिक नियम में प्रवेश करता है, सुसंगत ताल और सुसंगत尺度 (ध्वनिक पैमाना) स्थापित करता है। टक्करों का विरल होना शुरू होते ही फोटॉन विच्छिन्न होते हैं और नई–ताज़ा कैलिब्रेट “प्लेट”—ब्लैकबॉडी आधार, शिखर–गर्त लय, अग्रणी ध्रुवण–बुना—को आज के कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि (CMB) तक पहुँचा देते हैं। इसके बाद तनन–रिलीफ़ पदार्थ को संगठित करता है: लम्बी ढलानें ढोती हैं, रिज़ें समूहत होती हैं, नोड बंद होते हैं, रिक्तियाँ उछलती हैं—फिलामेंट–दीवार–नोड–रिक्ति का जाल–कंकाल उभरता है।
VI. “पहले का पहले” क्यों छद्म–प्रश्न है
लॉक-इन अवस्था में समय नहीं होता; “पहले क्या” पूछना ठोस के गलन–बिंदु से नीचे तरल की गति पूछने जैसा है। वैश्विक लॉक-इन, चरम तनन और कड़ी–कड़ी पुनर्संयोजन किसी भी “प्री–फेज़” स्मृति को मिटा देते हैं: खुलने के समय बाहरी चैनल नहीं; उच्च–आवृत्ति पुनर्संयोजन माइक्रो–पैटर्न को बेनाम मैक्रो–राशियों (कुल तनन, ऊर्जा–घनत्व) में मिलाता है; और दहलीज़ के दो ओर मीट्रिक/पर्यवेक्षणीय मेल नहीं खाते। “बाहर” कुछ हो भी तो हमारी भौतिक लेखा तक पहुँच नहीं रखता; दृष्ट–ब्रह्माण्ड का इतिहास खुलने से शुरू होता है।
VII. शुरुआत की चार–कौड़ी (क्वाज़ी–वैक्यूम कोर में समाहित)
- धागे (पदार्थ): अभी कण नहीं—निरन्तर जाल; स्व–धारी कुंडल (कण) और स्तरीय लूप खुलने के बाद ही आते हैं।
- समुद्र (माध्यम): कार्य–चरम तक तना; खुलने के बाद पुनर्स्थाप्य लोच लौटती है और ध्वनिक–ढोना–जमना सम्भव होता है।
- घनत्व (भार): आरम्भ में अति–उच्च—तनन और लूप सँजोने को; बाद में तनन–रिलीफ़ के अनुसार पुनर्विन्यस्त होकर हाइरार्की बनाता है।
- तनन (खींच/छत/ताल): पहले केवल छत देता है, ताल नहीं; खुलने के बाद ताल जलाता है, छतें सेट करता है, पथ तराशता है और इतिहास का मुख्य लेखा बनता है।
VIII. उपमा
अधिक–दाब वाली ढोलक–झिल्ली और पिस्टन–वाल्व: निकासी से पहले झिल्ली अति–तनी है और घड़ी निरर्थक। वाल्व दहलीज़ पार कर खुलता है—“हांडी” एक साथ ऊपर छलाँग लगाती है (साझा सीढ़ी), फिर गूँजते–गूँजते थमती है; संचित ऊर्जा ऊष्मा और तरंग बनती है। तभी समय–मापन अर्थपूर्ण होता है।
IX. मानक कथा से आमने–सामने
- सिंगुलैरिटी: “अनन्त बड़ा/छोटा” के स्थान पर “तनन–सीमित क्वाज़ी–वैक्यूम कोर + चरण–परिवर्तन से खुलना” रखें; इकाइयाँ रहती हैं, पर पैमाने खुलने से पहले निष्क्रिय और बाद में सक्रिय।
- मुद्रास्फीति: दूरियों को समन्वित करने हेतु ज्यामिति खींचने के बजाय “उच्च–तनन फेज़ की ऊँची प्रसार–छत + ब्लॉक–रीड्रॉ” से पहले–पहले संरेखित करते हैं; “पिस्टन–शैली पुनः–उष्मन” ऊर्जा–हस्तांतरण करता और चरण अंकित करता है—अतिरिक्त क्षेत्र/एग्ज़िट स्क्रिप्ट नहीं चाहिए।
- काला–छिद्र भीतरी–उपमा: समानता—कुल–कुंजी और चरम तनन; भेद—यहाँ वैश्विक कुंजी है, कोई बाहरी संदर्भ नहीं; खुलना “भाग निकलना” नहीं, कनेक्टिविटी को पुनः लिखना है।
X. जाँच योग्य संकेत
- J1 | “साझा सीढ़ी + गूँज–लिफ़ाफ़ा” ध्वनिक: TT/EE में लघुगणकीय विरल, अति–क्षीण मॉडुलन जो पैमाने के साथ घटे—वर्तमान सीमा से नीचे, पर फेज़–सुसंगत।
- J2 | अति–विस्तृत कोणों पर अक्रोमैटिक खिसकाव: ताप/फेज़ के माइक्रो–ऑफसेट जो कन्वर्जेन्स मानचित्रों से मंद सह–सम्बद्ध हों।
- J3 | आरम्भिक “मार्गदर्शन” की स्मृति: संयुक्त पुनर्निर्माण (वीक–लेंसिंग, कॉस्मिक–शियर, BAO) से अधिक चिकना तनन–आधार निकले और अवशेष एक साथ घटें।
- J4 | स्पेक्ट्रल विकृति के अत्यल्प सीमांत: कोमल ऊर्जा–हस्तांतरण ⇒ μ/y शून्य नहीं पर वर्तमान सीमा से नीचे; अधिक संवेदनशील स्पेक्ट्रोस्कोपी इन्हें कस दे या पकड़ ले।
XI. निष्कर्ष
- प्रारम्भिक अवस्था: वैश्विक लॉक-इन वाला क्वाज़ी–वैक्यूम कोर—कण, घड़ी, क्रियाशील समय नहीं—और तनन–बजट सिरे पर।
- ट्रिगर: संचित तनाव + सूक्ष्म–ट्रिगर दहलीज़ लाँघते हैं; संक्रमण–पट्टी पिस्टन–सा खुलती है, समय जलाती है, ऊँची छत बचाती है, फेज़–संगति तेज़ी से बनाती है और संचित तनन को प्रारम्भिक ऊष्मा में बदलती है।
- जमना: ध्वनिक काल ताल लिखता है; विच्छेदन “प्लेट” सौंपता है; आगे तनन–रिलीफ़ ब्रह्माण्ड–जाल तराशता है और इतिहास सुलभ–अनुसरणीय बनता है।
- “पहले” के बारे में: समय न होने पर “पहले/बाद” निरर्थक; कोई प्री–फेज़ रहा भी हो तो उसकी सूचना हमारे लिए लुप्त। दृश्य–ब्रह्माण्ड की शुरुआत खुलने से होती है।
संक्षेप में, ब्रह्माण्ड शून्य से नहीं उछला; वह तनन–सीमित, वैश्विक लॉक-इन क्वाज़ी–वैक्यूम से एक दहलीज़ पार करके खुला। तनन छतें तय करता है, संक्रमण ताल जलाता है, संचित ऊर्जा ऊष्मा भरती है, और जाल समन्वय अंकित करता है; इसके बाद ब्रह्माण्ड तनन–निर्देशित स्थलाकृति पर आज की विविधता तक फैलता है।
कॉपीराइट व लाइसेंस (CC BY 4.0)
कॉपीराइट: जब तक अलग से न बताया जाए, “Energy Filament Theory” (पाठ, तालिकाएँ, चित्र, प्रतीक व सूत्र) का कॉपीराइट लेखक “Guanglin Tu” के पास है।
लाइसेंस: यह कृति Creative Commons Attribution 4.0 International (CC BY 4.0) लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध है। उपयुक्त श्रेय देने की शर्त पर, व्यावसायिक या गैर‑व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए प्रतिलिपि, पुनर्वितरण, अंश उद्धरण, रूपांतर तथा पुनःवितरण की अनुमति है।
अनुशंसित श्रेय प्रारूप: लेखक: “Guanglin Tu”; कृति: “Energy Filament Theory”; स्रोत: energyfilament.org; लाइसेंस: CC BY 4.0.
पहला प्रकाशन: 2025-11-11|वर्तमान संस्करण:v5.1
लाइसेंस लिंक:https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/